रेल बजट से यह तो लगा कि समस्याओं पर सुरेश प्रभु की नज़र तो गई है। हो सकता है कि उनका रास्ता मुकम्मल न हो, लेकिन क्या प्रभु ने यह कहने का साहस नहीं दिखाया है कि रेलवे ग़रीब है, उसे निवेश चाहिए। क्या रेलवे के निजीकरण का कोई गुप्त दरवाज़ा खुलने जा रहा है? देखें चर्चा प्राइम टाइम में...