कुछ घटनाएं हमारे सिस्टम की परतें उड़ा देती हैं, जिस सिस्टम के बारे में हम नेताओं के स्लोगन सुनकर निश्चिंत हो जाते हैं, एक बार उसके करीब जाकर देखियेगा, किस किस स्तर पर आम जन के साथ सिस्टम के भीतर बैठे लोग क्या करते हैं. किस तरह उसकी असुरक्षा या लाचारी का लाभ उठाकर उसे नोचते हैं. आप तभी तक सुरक्षित हैं जब तक आप सिस्टम से दूर हैं. राज्य कोई भी है, आप किसी से भी पूछ लीजिए जिसका कोई पुलिस थाने गया हो, कोर्ट गया है, नेताओं के पास गया हो. इस हकीकत को जान लेंगे तो फिर जयगान करने से पहले दो बार सोचेंगे. मोबाइल फोन पर ऐप बना देने से सिस्टम ठीक नहीं होता है. सिस्टम के भीतर जो लोग बैठे हैं, उनकी जीवन दृष्टि ही अलग होती है. वो एक ऐसे तंत्र से जुड़े होते हैं जहां हर कोई अपना हिस्सा आपसे मांग रहा होता है.