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रवीश कुमार का प्राइम टाइम : झारखंड में पेड न्यूज़ का नया चेहरा और बनारस में संस्कृत का बदहाल चेहरा

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पेड न्यूज़ का नया रूप सामने आया है. आया है तो क्या कमाल आया है. क्या आपने या किसी नान रेज़िडेंट इंडियन ने यह सुना है कि सरकार अपनी योजनाओं की तारीफ छपवाने के लिए टेंडर निकाले और पत्रकारों से कहे कि वे अरजी दें कि कैसे तारीफ करेंगे. विदेशों में ऐसा होता है या नहीं, ये तो नान रेज़िडेंट इंडियन ही बता सकते हैं कि क्या वाशिंगटन पोस्ट, गार्डियन, न्यूयार्क टाइम्स अपने पत्रकारों से कहे कि वे सरकार का टेंडर लें, उसकी योजना की जमकर तारीफ करते हुए लेख लिखें और फिर उसे दफ्तर ले आएं ताकि फ्रंट पेज पर छाप सकें. हम झारखंड सरकार के जनसंपर्क निदेशालय के एक विज्ञापन की बात कर रहे हैं. इस विज्ञापन के अनुसार योग्य पत्रकारों को 16 सितंबर के दोपहर 3 बजे तक आवेदन जमा कर देना है. दूसरी तरफ, बनारस की सड़कों पर संस्कृत को लेकर कैंडल मार्च हो रहा है. आप संस्कृत को लेकर कुछ कह दीजिए तो हो सकता है कि सारे चैनल झांव-झांव करने लगें, शहर का शहर उमड़ पड़े लेकिन संस्कृत को लेकर हो रहे इस कैंडल मार्च का हाल देखिए. जैसे लगता है कि सारा बनारस आजकल फ्रेंच बोलने लगा है. किसी को संस्कृत से मतलब ही नहीं है.



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