रवीश कुमार का प्राइम टाइम: प्रेस की आज़ादी पर सरकारी विज्ञापनों का डंडा

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  • प्रकाशित: सितम्बर 16, 2020
सुप्रीम कोर्ट में सुदर्शन टीवी के प्रसारण पर रोक के बहाने कई सवाल खड़े हो गए हैं. ये वो सवाल है जो कोर्ट के भीतर और बाहर कई मौकों पर उठते ही रहते हैं. क्या कोर्ट के यह सवाल मीडिया की भूमिका उसके फंडिग में कोई बदलाव ले कर आएंगे या फिर अदालत आगे बढ़ जाएगी. पूरी बहस को दो हिस्सों में रखकर देखा जा सकता है. पत्रकारिता की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और बैन किया जाना दूसरा हिस्सा है विज्ञापन और फंडिग का.

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