हम सब रंगमंच की कठपुतलियां हैं, जिसकी डोर ऊपर वाले की उंगलियों में बंधी हैं। कब कौन कैसे उठेगा ये कोई नहीं बता सकता। 'आनंद' फिल्म के इस डायलाग को हम कितने आनंद से सुनते सुनाते हैं, लेकिन हमारी राजनीति ड्रामेबाज़ी शब्द को लेकर बिदक गई है। आज प्राइम टाइम में देखिए क्या फीकी पड़ रही है मोदी सरकार की चमक?