मोदी सरकार ने अपने पहले साल में रक्षा और बीमा सेक्टर में 49 प्रतिशत विदेशी निवेश का फैसला कर लिया, मामूली विरोध के अलावा बीजेपी या संघ परिवार को इससे कोई खास दिक्कत नहीं हुई। हुई भी तो सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ा। लेकिन जैसे ही खुदरा कारोबार में 51 प्रतिशत फैसले की बात होती है बीजेपी को समझ नहीं आता कि इसका बचाव कैसे करे।