आख़िर तमिलनाडु की जनता ने उस हकीकत से साक्षात्कार कर ही लिया, जिसका वो पिछले 74 दिनों से सामना करने का हिम्मत जुटा ही नहीं पा रही थी. जयललिता के निधन का ऐलान उनके समर्थकों और वहां की जनता ने जिस साहस और उदारता के साथ स्वीकार किया है, उसका प्रमाण आपको राज्य में पसरी उदासी के बीच उस शांति से मिल जाएगा, जिसके भंग हो जाने की आशंका में तमिलनाडु की पुलिस दिन-रात चौकस खड़ी थी. ज़रूर वहां की पुलिस ने साहसिक काम किया होगा.