जब तक आतंकवाद का चेहरा नकाब से ढंका होता है वो क्रूर तो लगता है, लेकिन जब नकाब हटता है तो उससे भी क्रूर हो जाता है क्योंकि तब आप देख पाते हैं कि कैसे फर्ज़ी मज़हबवाद और राष्ट्रवाद के नाम पर नौजवानों को आग में झोंका जा रहा है। आतंकवाद राष्ट्रवाद का चोर रास्ता है।