लोकपाल के मुद्दे से लोकपाल भले न आया हो, मगर इससे एक राजनीतिक पार्टी का जन्म ज़रूर हुआ और वो दिल्ली की सत्ता तक पहुंची। ज़ाहिर है जब उस पार्टी की सरकार जनलोकपाल लेकर आए तो उसकी सख्त समीक्षा होनी चाहिए कि उसका जनलोकपाल कैसा है। जिसे एक बार लाने के प्रयास में आम आदमी पार्टी ने अपनी सरकार छोड़ दी थी। प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव दोनों एक साल पहले तक जनलोकपाल पर सहयोगी थे और अब विरोधी हैं। पहले इनका विरोध कांग्रेस या बीजेपी से होता था अब इनका विरोध आपसी हो गया है।