शुक्रिया उन सभी का जिन्होंने 'भारत माता की जय बोलने' के विवाद को फिर से तूल दिया। यही विवाद कभी 'वंदे मातरम' को लेकर होता था और होता रहा है। वंदे मातरम और भारत माता की जय की विकास यात्रा में कई वर्षों का अंतर है, मगर कब दोनों एक-दूसरे के पूरक हो जाते हैं यह ठीक ठीक बताना मुश्किल है। इन विवादों से हमें यकीन होता है कि घबराने की जरूरत नहीं है। हम कहीं गए नहीं हैं, वहीं हैं। भारत की राजनीति ने पहले भी इस विवाद का सामना किया है और आगे जब भी होगा सामना कर लेगी। भारत माता की जय बोलने में न तो समस्या है न नहीं बोलने में। समस्या है कि आप कौन होते हैं बोलने वाले कि 'भारत माता की जय' ही बोलो या देशभक्त होने का यही अंतिम प्रमाण क्यों है।