जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में आतंकी हमले में शहीदों जवानों को आज अंतिम विदाई दी गई. कोई अपने पीछे 4 महीने का बेटा तो कोई 7 महीने के बेटी को छोड़ देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दे दिया. उनके घर-परिवार की कहानी रुला देने वाली हैं. सेना के पांच जवानों की शहादत (Martyrdom) भले ही हमें और आपको पांच जवानों की सहादत लगे, लेकिन इस शहादत से किसी के घर का चिराग उजाड़ गया, तो कई बच्चों के सिर से बाप साया उठ गया है. शहीदों की पत्नियों के सपने उजड़ गए तो किसी भाई से भाई जुदा हो गया है. किसी मां की कोख सूनी हो गई है तो किसी बाप के बुढ़ापे का सहारा छिन गया है.