लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले पांच साल के कार्यकाल में हमारे मन में यही भाव रहा, जिसका कोई नहीं है, उसके लिए सरकार ही सिर्फ होती है. हमने देश आजाद होने के बाद एक ऐसा कल्चर जाने-अनजाने में स्वीकार कर लिया, जिसमें देश के सामान्य मानवीय को अपने हक के लिए व्यवस्थाओं के साथ जूझना पड़ता है, जद्दोजहद करनी पड़ती है, उसे लड़ना पड़ता है. क्या इस आजादी के लिए वह निकला था? उन्होंने कहा कि सहज रूप से व्यवस्था के तहत जिसका वह हकदार है उसे वह मिलनी चाहिए या नहीं?
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