प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस और ऑस्ट्रिया का दौरा कर लौट चुके हैं. तीसरे कार्यकाल में पहले द्विपक्षीय दौरे के रूप में रूस को चुनना कोई अनायास लिया गया फैसला नहीं है. और ना ही रूस के बाद ऑस्ट्रिया जाना महज एक संयोग है. इन दोनों देशों का दौरा भारत की अपनी विदेश नीति को मजबूती से आगे बढ़ाने के दो अहम पड़ाव हैं. इसे समझने की कोशिश करते हैं कैसे यूक्रेन के साथ युद्धरत रूस पर अमेरिका और पश्चिमी देशों ने भारी पाबंदी लगा रखी है. ये चाहते हैं कि दुनिया के तमाम देश उनके प्रतिबंधों को मानें और रूस को अलग-थलग करने में उनका साथ दें. लेकिन भारत, अमेरिका और पश्चिमी देशों के इशारों पर कतई नहीं चलना चाहता और ना ही चल रहा है. इसकी मोटे तौर पर दो वजह हैं.