बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई का फेफड़ा कहे जाने वाले आरे कॉलोनी के 2646 पेड़ों को काटने की इजाज़त दे दी है. यहां पर मेट्रो का डिपो बनेगा. बृहनमुंबई नगर निगम के वृक्ष प्राधिकरण ट्री अथॉरिटी ने प्रस्ताव पास किया था. चीफ जस्टिस प्रदीप नादराजोग और जस्टिस भारती डांगरे ने कहा है कि वनशक्ति की याचिका मेरिट के आधर पर खारिज नहीं की जा रही है बल्कि सबका भला सोचते हुए किया गया है जिसे अंग्रेज़ी में Principle of commonality कहा गया है. इसलिए केस को मेरिट के आधार पर खारिज नहीं किया गया क्योंकि यह मसला नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है. मुंबई में इन पेड़ों को काटने से रोकने के लिए काफी प्रदर्शन हुए. एक लाख लोगों ने ऑनलाइन याचिका दी थी. कोर्ट ने कहा कि इन एक लाख लोगों की बात का सारांश तो पेश किया ही गया इसलिए यह कहना सही नहीं होगा कि एक लाख लोगों के एतराज़ पर ग़ौर नहीं किया गया. फैसले में लिखा है कि प्रोजेक्ट वाले ने संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में जीपीएस टैगिंग के साथ 20,900 सैपलिंग लगाए हैं जिनमें से 95 प्रतिशत पेड़ बच गए हैं. कोर्ट ने कहा कि जितने गिराए जाने हैं उससे सात गुना सैपलिंग लगा दिए गए हैं और यह काम दो साल पहले हो चुका है. इस प्रोजेक्ट को संयुक्त राष्ट्र की फ्रेमवर्क फॉर क्लाइमेट चेंज में पंजीकृत है तो विदेशी एजेंसियां भी पर्यावण के असर पर नज़र रख रही हैं. मगर याचिकाकर्ता संतुष्ट नहीं हैं वो सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कर रहे हैं.