पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के संविधान संशोधन बिल को संसद ने मंजूरी दे दी है. महत्वपूर्ण बात है कि इस बिल के विरोध में एक भी वोट नहीं डाला गया. यानी सारी पार्टियां पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के पक्ष में एक राय रहीं. अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद पांच सदस्यीय आयोग को संवैधानिक दर्जा मिल जाएगा.
आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और एक महिला समेत तीन अन्य सदस्य होंगे. यह आयोग राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के समकक्ष हो जाएगा. पांच सदस्यीय इस आयोग का काम केंद्रीय सूची में पिछड़े वर्ग की जातियों के समावेश का फैसला करना होगा. सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग की शिकायतों का समाधान और जांच भी यह आयोग करेगा. पिछड़े वर्ग से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले करने से पहले केंद्र और राज्य सरकारों को आयोग की राय लेनी होगी. इस आयोग को सिविल कोर्ट के अधिकार मिल जाएंगे और यह लोगों को बुला सकेगा और उनकी गवाही ले सकेगा.