आप रैगिंग के इस वीडियो को देखते हुए महान भारत से चाहें तो बहुत सी उम्मीदें कर सकते हैं. 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि रैगिंग मानवाधिकार का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद सख्त कानून हैं. देश भर के कालेजों में रैगिंग विरोधी कमेटी है और निर्देश टांगे गए हैं. क्योंकि रैंगिग के कारण कई छात्रों की जान गई है और कइयों ने खुदकुशी की है. लेकिन आज के ज़माने में जब सरकार और सिस्टम का वरदहस्त, अंग्रेज़ी में सपोर्ट हो तो आप कुछ भी बोल सकते हैं. अरशद जमाल और कमाल ख़ान की रिपोर्ट की यह तस्वीर बता रही है कि मेडिकल कालेजों के तहखाने में कितना कचरा जमा है जिसे सीनियर जूनियर के नाम पर संस्कार और संस्कृति का रूप देकर पाला जा रहा है. बहरहाल इससे पहले कि 21 अगस्त की रात बीत जाए,वाइस चांसलर डॉ राजकुमार जी का यह अमर बयान सुन लें. उसके बाद हम इस स्टोरी को आपके विवेक पर छोड़ते हैं. देश में अगर कहीं कोई सिस्टम होगा तो कुछ होगा वरना छात्रों ने तो कह ही दिया है कि उनकी रैगिंग नहीं हुई है.