चुनाव के दिनों में क्यों वोटों का ध्रुवीकरण कुछ ज्यादा ही देखने को मिलता है। क्यों लोगों में असहनशीलता बढ़ रही है? मुजफ्फरनगर से लेकर दादरी हत्याकांड तक और सुधींद्र कुलकर्णी के मुंह पर कालिख पोतने तक क्यों ऐसे तत्व बार-बार मुंह उठाते हैं? आखिर क्यों ऐसे लोगों पर रोक नहीं लगाई जा रही है।