अयोध्या ज़मीन विवाद को लेकर मध्यस्थता की तमाम कोशिश की गई है, लेकिन उनमें से कोई भी कारगर सिद्ध नहीं हुई, ये मामला कई दशक तक अदालतों में चला है. सुप्रीम कोर्ट की बात करें तो यहां भी लगभग एक दशक बीत चुका है. कोर्ट ने मध्यस्थता का रास्ता खुला रखा है, साथ ही ये ऐलान भी किया है कि 17 अक्टूबर तक सभी पक्षकारों की सुनवाई ख़त्म हो जाएगी और संभवतः 17 नवंबर से पहले-पहले इसका ऐतिहासिक फ़ैसला आ जाएगा. इस बीच मुस्लिम बुद्धिजीवियों की तरफ़ से एक सुझाव दिया गया है कि अयोध्या की ज़मीन मंदिर बनाने के लिए दे दी जाए. उनके हिसाब से समुदाय के लिए ये सबसे सही विकल्प है.