जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने को लेकर मंगलवार को लोकसभा में चर्चा शुरू हुई. कांग्रेस सांसद तिवारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के विलय में अनुच्छेद 370 और संविधान शामिल है. इतिहास को समझने की जरूरत है. 370 का मतलब है कि राज्य के लोगों से सलाह-मशविरा किया जाए. लेकिन आज विधानसभा नहीं है. धारा तीन ये नहीं कहती है संसद किसी भी राज्य की सीमाएं तय करने का फैसला करे. जम्मू-कश्मीर को पुनर्गठन का फैसला धारा 3 के खिलाफ है. तिवारी ने कहा बिना संवैधानिक सभा के अनुच्छेद 370 को खारिज नहीं किया जा सकता है. आज जब अनुच्छेद 370 को खत्म कर रहे हैं तो आज आप पूर्वोत्तर भारत के राज्यों को क्या संदेश दे रहे हैं कि कल को आप असम त्रिपुरा नागालैंड के अधिकार अनुच्छेद 371 खत्म करके लेंगे. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का एक अलग संविधान है जो 26 जनवरी 1957 को लागू हुआ था तो उसका क्या होगा. क्या सरकार उसके लिए सरकार अलग से विधेयक लेकर आएगी. तिवारी ने कहा कि यह पहला मौका है जब किसी प्रदेश को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया है. यह संघीय ढांचे पर बहुत बड़ा प्रहार है. अगर आज जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू-कश्मीर आज भारत का हिस्सा हैं तो वह पंडित जवाहर लाल नेहरू के कारण हैं. इस पर अमित शाह ने कहा कि मनीष तिवारी जी ने कहा कि यह बताया ही नहीं कि वह अनुच्छेद 370 के पक्ष में या खिलाफ. इस पर तिवारी ने कहा कि अगर आप बिना संवैधानिक असेंबली की सहमति से धारा हटाएंगे तो यह बिलकुल गलत है, उम्मीद है कि आप समझ गए होंगे.