जिस संगम में अब तक 57 करोड़ से ज्यादा लोग पवित्र डुबकी लगा चुके हैं, क्या वो गंगाजल बेहद दुषित है। क्या वो इतना दुषित कि उसको पीना और आचमन करना संभव नहीं। क्या आचमन तो दूर, उसमें डुबकी लगाना भी कई बीमारियों को न्योता देना है।