आज आरजेडी के 25 वें स्थापना दिवस के मौके पर एक तरफ तेजस्वी यादव की ऊर्जा और दूसरी तरफ लालू यादव का अनुभव नजर आया. जेल, बीमारी और अस्पताल को पीछे छोड़कर लालू यादव अरसे बाद अपने कार्यकर्ताओं से मुखातिब थे और उनका अंदाज बदला हुआ था. उन्होंने लोहिया, जय प्रकाश, नारायण कर्पुरी की विरासत याद की.संघर्ष के दौर को याद किया और कहा कि उन्हें मिट जाना कबूल होगा, झूक जाना नहीं.