बुरा न बोलो... नहीं तो... अब ये वाक्य केन्द्र सरकार के लिए एक तथ्य के रूप में क़रीब-क़रीब स्थापित होता जा रहा है कि अगर सरकार को लेकर कोई सवाल पूछा या सच उजागर किया तो उस मीडिया संस्थान के ख़िलाफ़ सरकारी जांच एजेंसियां कार्रवाई कर सकती हैं, कभी आयकर विभाग के सर्वे के नाम पर तो कभी छापेमारी की कार्रवाई.