कश्मीर घाटी में आए दिन के प्रदर्शनों और बंद की वजह से पढ़ाई-लिखाई को होने वाले नुकसान पर अब सवाल उठने लगे हैं. लोगों का कहना है कि प्रदर्शनों और बंद की अपील करने वाले अलगाववादी नेता अपने बच्चों को पढ़ने के लिये विदेश भेजते हैं. कई के बच्चे विदेशों में नौकरियां भी कर रहे हैं. फिर वहां रहने वाले इन आम लोगों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों?