Kargil War: 'मैं उन्हें इन पहाड़ों में महसूस..' भाई की जुबानी 'परमवीर' Vikram Batra की कहानी

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  • प्रकाशित: जुलाई 25, 2024
करगिल की पहाड़ियों से टकराती हुई हवा सर्र सर्र बह रही है. बातचीत के दौरान हवा में मुंह से निकले शब्द कई बार बह से जाते हैं. लेकिन कुछ शब्द हैं, जो जिंदा हैं. अमिट हैं. 'यह दिल मांगे मोर' इनमें से एक है. मानो अभी भी गूंज रहा हो. इस एक लाइन पर कैप्टन विक्रम बत्रा याद बरबस आ जाते हैं. उनकी यादें ताजा करने उनके जुड़वा भाई विशाल बत्रा द्रास आए हैं. नीचे की पहाड़ी पर बैठे हैं और दूर पॉइंट 5140 और पॉइंट 4875 की तरफ बार-बार उनकी नजरें घूम जा रही हैं. जहां भारत को अपना 'शेरशाह' मिला था. विशाल की आंखों में सबकुछ फिल्म की रील की तरह घूम रहा है. 25 साल पहले वाली हर एक बात याद आ रही है. NDTV से बातचीत में विशाल भाई के किस्सों का पिटारा खोलते हैं.

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