प्रो. आनंद तेलतुबंडे भीमा कोरागांव केस में बंद है. 22 महीने से इस केस का ट्रायल शुरू नहीं हुआ है. कई महीने तक यह केस महाराष्ट्र सरकार के पास था. और जैसे ही वहां सरकार बदली एनआईए के पास चला गया. प्रो. आनंद गिरफ्तार हुए और कई दिनों से जेल में है. कोरोना के समय में जहां कैदियों को छोड़ने की नीति बन रही थी उसी समय में प्रो. आनंद तेलतुबंडे गिरफ्तार किए जा रहे थे. यह कहानी केवल प्रो. आनंद तेलतुबंडे की नहीं है. ऐसी ही कहानी डॉ. कफील खान की है. वरवरा राव की है. सुधा भारद्वाज की है. आज आनंद के मित्रों और परिजनों ने एक बेवसाइट बनाई. मीडिया से ऐसी कहानियां गायब हो जाती है. बीच-बीच में आती भी है तो फर्क नहीं पड़ता. ऐसा किन मीडिया रिपोर्ट का इन मामलों में फर्क पड़ा है.