तीन तलाक़ पर तैयारी के दौरान कई लेखों में मीडिया खासकर न्यूज़ चैनलों को लेकर एक खीझ दिखाई दी. यही कि मीडिया ख़ासकर टीवी ने तीन तलाक के मसले को हां या ना में बदल कर रख दिया है. जबकि यह मामला हां या ना के अलावा उन विकल्पों का भी है जो तीन तलाक की समाप्ति के बाद हो सकता है, जिसे लेकर तमाम संगठनों के बीच अलग अलग राय है. न्यूज़ चैनल इस तरह की नाइंसाफी सिर्फ मुस्लिम मुद्दों के साथ नहीं करते बल्कि तमाम राजनीतिक और ग़ैर धार्मिक मुद्दों के साथ भी करते हैं. इसका अब कुछ नहीं हो सकता है.