सुप्रीम कोर्ट के रात भर जाग जाने से जो दिन-दहाड़े हो रहा था या होने वाला था उसके होने पर कोई आंच नहीं आई. पर ये क्या कम है कि सुप्रीम कोर्ट के जज साहेबान रात भर सरकार और विपक्ष का पक्ष सुनते रहे. ऐसे वक्त में जब कोई सुन ले इसकी तलाश में नेता नहीं जनता भी मारी-मारी फिर रही है. देश के सर्वोच्च अदालत के सुन लेने से ही करार आ जाना चाहिए. यह बड़ी बात है कि हमारी अदालतें रात भर जागती हैं.