आजाद भारत के न्यायिक इतिहास में लोकतंत्र का ये स्तंभ ये शुक्रवार को कुछ हिला. सुप्रीम कोर्ट के चार सबसे सीनियर जजों ने सीधे मुख्य न्यायाधीश की प्रशासनिक कार्यशैली के खिलाफ एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स की. कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सबकुछ ठीक से नहीं चल रहा, इससे लोकतन्त्र कमजोर पड़ता है और वो बरसों बाद ये नहीं सुनना चाहते कि उन्होंने अपना ज़मीर गिरवी रख दिया था. इन जजों ने मिडिया के सामने एक सात पन्ने की चिट्ठी जारी की जिसमें परंपराओं और नियमों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया. केसों को मनमाने तरीके से आवंटित करने और सामूहिक निर्णयों की अनदेखी के भी आरोप लगाये. याद दिलाया कि चीफ जस्टिस 'बराबर लोगों में पहले हैं, दूसरे जजों से बड़े नहीं.'