हिन्दू हों या मुस्लिम दोनों को एक काम करना चाहिए. आपसी लड़ाई छोड़कर कम से कम वे मिलकर न्यायपूर्ण सिस्टम के लिए संघर्ष करें. ताकि दोनों को इंसाफ के इंतज़ार में बीस बीस साल अदालतों के चक्कर न लगाना पड़े. मई 2016 में 8,150 दिन यानी 23 साल जेल में बिताने के बाद निसार जेल से बाहर आया तो उसके यही अल्फाज़ थे कि मेरे लिए ज़िंदगी ख़त्म हो गई है. आप जो देख रहे हैं वो एक ज़िंदा लाश है. आतंक के आरोप में 23 साल तक जेल में रहने के बाद निसार बरी तो हो गया मगर उसका कितना कुछ चला गया. 20 साल का था जब जेल गया था. निकला तो 43 साल का हो गया.