एक दूसरा मसला है भारत और चीन के बीच होने वाला रीजनल कांप्रीहेंसिव इकोनोमिक पार्टनरशिप (RCEP) समझौता. यह एक नया क्षेत्रीय मोर्चा है. इसके तहत आयात और निर्यात के शुल्क को बहुत कम किया जाएगा या पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा. चीन इस डील को जल्दी करना चाहता है क्योंकि वह अमरीका के साथ व्यापारिक झगड़े से परेशान है. मगर भारत के बाज़ारों में तनाव है कि अगर यह साइन हुआ कि डेयरी, स्टील और टेक्सटाइल का बाज़ार कमज़ोर पड़ जाएगा. इसलिए डेयरी उद्योग के लोगों ने सरकार से संरक्षण की मांग की है. आप जानते हैं कि बांग्लादेश से सस्ते गारमेंट के कारण भारत का टेक्सटाइल उद्योग करीब-करीब बैठ गया है. अगर आयात शुल्क और कम हुआ तो मुसीबत बढ़ेगी. दूसरी तरफ भारत के अन्य सेक्टर चाहते हैं कि स्टील पर आयात शुल्क कम हो ताकि उन्हें सस्ती स्टील मिले. स्वदेशी जागरण मंच ने आरईसीपी के खिलाफ दस दिनों के आंदोलन का एलान किया है. आरईसीपी समझौता हुआ तो सरकार मैन्यूफैक्चरिंग और खेती के सेक्टर को मज़बूत नहीं कर पाएगी. रिटेल व्यापार के संघ के नेता प्रवीण खंडेलवाल कहते हैं कि चीन से सस्ता माल आया तो नुकसान बढ़ेगा.