प्राइम टाइम : धर्म के नाम पर हत्या के लिए उकसाने वाले कौन?

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  • प्रकाशित: दिसम्बर 11, 2017
6 दिसंबर से 11 दिसंबर आ गया, पांच दिन गुज़रने के बाद क्या आपसे या सबसे पूछा जा सकता है कि आपने राजस्थान के राजसमंद की घटना पर क्या सोचा. पांच दिनों से देख रहा हूं कि इस घटना को लेकर सोशल मीडिया में लोग तरह तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं. ज़्यादातर लोग समाज और राजनीति की इस हालत को लेकर बेचैन हैं. बात किसी सरकार की नहीं है, यह बात कहीं भी घट सकती है. यह एक ऐसा आत्मविश्वास है जिसे हमारी बीमार राजनीति पैदा कर रही है. इसके बाद भी बहुत बड़ी तादाद में लोग इसके ख़तरे पहचान भी लेते हैं, वो दो समुदायों के साथ उसी रफ्तार से ज़िंदगी जीते रहते हैं, मगर कुछ हफ्तों के अंतराल पर कभी पहलू ख़ान को मार दिया जाता है, कभी उमर को, तो कभी जुनैद को. यह घटनाएं जब बार-बार लौटती हैं तब चिंता होती है. यह सनक कहां से आती है. सांप्रदायिकता का यह नया रूप है. लगातार बयान दो, बहस करो, ताकि कोई इसकी चपेट में आ जाए और मानव बम में बदल जाए. वो किसी को चलती ट्रेन में मार दे, किसी को गाय के नाम पर मार दे तो किसी को नारियल काटने वाले धारदार हथियार घेंती से मार दे.

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