यह कैसे हो सकता है कि हम सब अच्छे कॉलेज में जाने के लिए नर्सरी से लेकर बारहवीं तक 15 साल गुज़ार देते हैं और जब कॉलेज में जाते हैं तब पढ़ाने के लिए प्रोफेसर लेक्चरर न हों तो क्या यह छात्रों के 15 साल के साथ धोखा नहीं है? यह कैसे हो सकता है कि कॉलेज दर कॉलेज में प्रोफेसर, लेक्चरर नहीं हैं और समाज और परिवार को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है?