लखनऊ में 49 दिनों से शिक्षा मित्र धरने पर बैठे हैं. पिछले एक साल में कितना धरना दे चुके हैं, हिसाब करना मुश्किल है. इनकी कहानी इस तरह से है कि 2002 से 2009 तक 1 लाख 78 हज़ार शिक्षा मित्र नियुक्त किए जाते हैं. पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों को पढ़ाने के लिए. उस वक्त प्रशिक्षित शिक्षक नहीं थे तो उनकी जगह इन्हें नियुक्त किया गया, क्योंकि देश में साक्षरता दर बहुत कम थी. इन शिक्षा मित्रों की सैलरी 2002 में 1850 रुपए थी जो 2014 में रेगुलर होने से पहले 3500 पर पहुंची थी. इतने कम पैसे पर इन्होंने 12 साल स्कूलों में पढ़ाया.