आज आपसे एक बात कहनी है. क्या आप न्यूज़ चैनलों या मीडिया के अनुसार बदल रहे हैं? आए दिन नेताओं के निम्नस्तरीय राजनीतिक बयानों पर घमासान चर्चा होती है. कहीं ऐसा तो नहीं कि इन्हीं चर्चाओं को आप ख़बर या सूचना समझ रहे हैं, क्या इन चर्चाओं से आपको सिस्टम की पारदर्शिता नज़र आती है, सिस्टम जिसे आप थाना, कोर्ट और अफसर समझते हैं, क्या आपका उसमे भरोसा बढ़ रहा है. क्या होता है जब आप किसी झूठे मुकदमे के शिकार होते हैं या सत्य को लेकर सिस्टम से लड़ जाते हैं? सूचनाओं के अनेक माध्यम आपके हाथ में आ गए हैं मगर गौर से देखिए ज़्यादातर सूचनाएं एक जैसी हैं. यह जो एकरूपता है दरअसल यही सूचनाविहीनता है.