NDTV Khabar

ग्राउंड रिपोर्ट: उत्तराखंड आपदा में किस तरह से काम आ रहे हैं ड्रोन्स?

 Share

उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली (Chamoli) जिले में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से एक और शव मिला है, जिससे ग्लेशियर टूटने की आपदा (Glacier breakdown disaster) में मरने वालों की संख्या बढ़कर 62 हो गई है. वहीं एनटीपीसी (NTPC) की तपोवन-विशनुगढ़ जलविद्युत परियोजना स्थल पर 13वें दिन भी खोज और बचाव अभियान जारी रहा. उत्तराखंड में आई तबाही की तस्वीर रोंगटे खड़े कर देती हैं. ऐसे में तमाम परेशानियों के बीच राहत और बचाव का काम एनडीआरएफ (NDRF), एसडीआरएफ (SDRF), आईटीबीपी (ITBP), सेना समेत अन्य एजेंसियां कर रही हैं और तीसरी आंख के तौर पर ड्रोन कैमरे इनकी मदद कर रहे हैं. बचाव कार्यों में एजेंसियों के ड्रोन कैमरों के साथ-साथ प्राइवेट ड्रोन भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार, गरुड़ ड्रोन ने काफी ऊंचाई पर उड़ान भरी ताकि दुर्गम पहाड़ियां ड्रोन के क्रैश की वजह न बन जाए और राहत और बचाव का काम और तेजी से किया जा सके. इन ड्रोन्स ने दिन के उजाले में तो फंसे हुए लोगों को तलाशने का काम किया ही, रात के अंधेरे में भी तलाश जारी रखी. चमोली त्रासदी के दौरान ये ड्रोन्स एनडीआरएफ (NDRF) के लिए काफी मददगार साबित हुए क्योंकि त्रासदी के शुरुआती दिनों और घंटों में प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव का काम काफी मुश्किलों से भरा हुआ था.



Advertisement

 
 
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com