यूपी (Uttar Pradesh) सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्गों पर पड़ने वाली दुकानों पर मालिकों के नाम और मोबाइल नंबर लिखे जाने का आदेश दिया है. इस आदेश पर एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम के NGO ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल की है. याचिका में यूपी सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग की गई है, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि क्या सरकार ने इस पर कोई औपचारिक आदेश पास किया है ये स्वैच्छिक है, अनिवार्य नहीं है. सुप्रीम कोर्ट: कांवड़ियों की क्या अपेक्षा है? क्या वे यह भी कहते हैं कि खाद्यान्न किसी खास समुदाय के सदस्यों द्वारा ही उगाया जाना चाहिए? फिर कानूनी सवाल- क्या कोई आदेश है?