तेलंगाना (Telangana) में उन्होंने टीडीपी (TDP) और कांग्रेस (Congress) का जनाधार ख़त्म करने के लिए उसमें बुरी तरह तोड़फोड़ की. बीआरएस (BRS) का नाम तब तक टीआरएस था. यानी तेलुगू राष्ट्र समिति. अपनी जीत से उत्साहित के चंद्रशेखर राव (KCR) ने 2018 की जीत के बाद राष्ट्रीय फलक पर पैर जमाने की कोशिश की. इसी क्रम में उन्होंने अपनी पार्टी का नाम बदला. तेलुगू राष्ट्र समिति से भारत राष्ट्र समिति नाम रख दिया. लेकिन दिल्ली पर नज़र रखे केसीआर की नज़र अपने राज्य के युवाओं और किसानों की चिंताओं से दूर होती गई. इसके अलावा ये भी माना जा रहा है कि कई बाहरी और नए नेताओं को मैदान में उतारकर केसीआर ने अपने पुराने वफ़ादारों को नज़रअंदाज़ किया. यही नहीं केसीआर पर आरोप लगता है कि उन्होंने तेलंगाना आंदोलन के समय के अपने पुराने साथियों को भी लगातार दरकिनार किया. ऐसे तमाम पुराने साथियों और वफ़ादारों और उनके समर्थकों की नाराज़गी केसीआर को महंगी पड़ी.