तमिलनाडु के चेंगलपट्टू में एक लड़की के लिए न्याय की लड़ाई काफी लंबी रही. लड़की के साथ साल 2013 में उसके ही रिश्तेदार ने रेप की वारदात को अंजाम दिया था. अदालत ने आरोपी को दोषी करार दिया, लेकिन पीड़िता को कोई मुआवजा नहीं दिया गया. वह उस समय नाबालिग थी. इस मामले में कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन की सहयोगी संस्था बचपन बचाओ आंदोलन के दखल के बाद बच्ची और उसकी मां दोनों को बड़ी राहत मिली है.
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