एनडीटीवी युवा में दुती चंद ने कहा कि जब एशियन गेम्स के लिए मेरा चयन हुआ, तो मेरे मन में यही आया कि जो भी हो मगर देश के लिए कोई तो मेडल लेना ही है. दुती चंद ने कहा एशियाड में शुरू से लेकर अंत तक भागते वक्त मेरी आंखें बंद थीं. फिर मेडल मेरे हाथ में था. दुती चंद ने कहा कि मेरे परिवार में कुल 9 लोग हैं. मेरे परिवार का कपड़ा बनाने का काम है. गांव में भागने में काफी दिक्कत होती थी. मैं नदी किनारे भागती थी. ठंडे मौसम में एक फ्रॉक पहनकर भागती थी. मुझे नंगे पांव भी भागना पड़ा.