दिल्ली के चुनावी संग्राम लगातार बयानबाजी देखने को मिल रही है. राष्ट्रवाद बनाम राष्ट्रद्रोह की इस बहस में दिल्ली चुनाव के जमीनी मुद्दे कहीं पीछे छूट गए हैं. सड़क, स्कूल, शिक्षा और स्वास्थ्य पर चर्चाएं उतनी नहीं हो रही है जितनी होनी चाहिए थी. इस विषय पर दिल्ली की जनता का क्या कहना है, जानने की कोशिश की अंजिलि इस्टवाल ने.