लॉकडाउन का सबसे ज्यादा अगर किसी पर पड़ा है तो वह हैं प्रवासी मजदूर. काम के बिना दिहाड़ी मजदूरों के लिए जीवन यापन इतना मुश्किल हो गया है कि सरकार की तमाम अपीलों के बावजूद लोग पैदल अपने गांवों की तरफ चल रहे हैं. सड़कों पर पुलिस का पहरा होने लगा तो ये प्रवासी मजदूर पटरियों के किनारे अपना सफर पूरा करने के लिए निकल पड़े हैं, जहां इनकी परेशानियां और बढ़ गई हैं.