कहावत पुरानी है- इंसाफ़ की चक्की धीरे-धीरे घूमती है. वो आज घूमती-घूमती उस शख़्स तक पहुंच गई जिसने अपने ख़िलाफ़ मामले तक दर्ज नहीं होने दिए थे. कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाते हुए दिल्ली हाइकोर्ट ने सीधे-सीधे कहा कि इतने बड़े पैमाने पर जो दहला देने वाली हिंसा हुई, वो नेताओं की देखरेख में हुई, पुलिस ने इसमें मदद की और किसी एजेंसी ने इसकी ठीक से जांच तक नहीं की. ये पूरा मामला बस कुछ पीड़ितों और गवाहों के सब्र और साहस का नतीजा रहा. आज उन पीड़ितों की राहत की लंबी सांस ली.