भारत के आजादी के आंदोलन में ऐसी सैंकड़ों विभूतियां थीं, जिन्होंने लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा दी. आजादी हासिल करने के लिए प्रेरित किया. महात्मा गांधी और महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के काम करने का तरीका बेहद अलग था, लेकिन दोनों में एक बात समान थी. दोनों का दान जुटाने में कोई सानी नहीं था. बापू का मानना था कि सार्वजनिक संघर्ष में अगर सभी का आर्थिक योगदान होगा तो संघर्ष और गंभीरता से लड़ा जाएगा. लगता है कि बापू के इसी फॉर्मले को आधार बनाकर कांग्रेस अपनी खाली तिजोरी को भरना चाह रही है.