2016 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ऐलान किया था कि 2019 तक महाराष्ट्र सूखे से मुक्त हो जाएगा. इसके लिए जलयुक्त शिवर अभियान शुरू किया गया था. शिवर का अर्थ है गांव. इस अभियान में क़रीब आठ हज़ार करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद तीन साल बाद भी हालत ये है कि राज्य का 40% से ज़्यादा हिस्सा भीषण सूखे की चपेट में है. एक ओर लोगों के गले सूखे हैं तो दूसरी और राज्य में पानी के टैकरों का कारोबार दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है. 358 में से 151 तालुका सूखाग्रस्त घोषित किए जा चुके हैं. इन तालुकाओं में 28,524 गांव सूखाग्रस्त हैं. जब राज्य में ये हालात हों तो हमारे मंत्रियों की ज़िम्मेदारी क्या बनती है. यही कि वो पानी का उपभोग करें और पैसा न चुकाएं. तभी तो महाराष्ट्र के मंत्रियों पर लाखों रुपए पानी का बिल बकाया है. ख़ुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर साढ़े सात लाख रुपए पानी का बिल बकाया है.