जर्मनी के बॉन शहर में सोमवार से जलवायु परिवर्तन सम्मेलन शुरू हो रहा है. इस दौरान दो साल पहले पेरिस में हुए समझौते को लागू करने के लिए नियम बनाए जाएंगे. लेकिन अमेरिका के इस समझौते से हटने की घोषणा के बाद सबकी नज़रें इस बात पर टिकी हैं कि बाक़ी देशों का रुख क्या रहेगा. ये चिंता बड़ी हो गई है कि धरती को बचाने की कोशिशों का बोझ अब भारत जैसे देशों के आम आदमी की जेब पर पड़ेगा?