पिछले कई चुनाव से हर चुनाव में प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आने की ख़बरें आती रहती थीं मगर वो नहीं आईं. अमेठी और रायबरेली में भाषण दिया और चुनाव प्रबंधन का काम संभाला और फिर चर्चा समाप्त. इस बार चर्चा भी नहीं हो रही थी और प्रियंका गांधी के आने की घोषणा हो गई. उन्हें पूवी उत्तर प्रदेश का प्रभारी महासचिव बनाया गया है. 15 साल लगे राहुल गांधी को संघर्ष करते हुए अपनी जगह बनाने में तब जाकर उनके नेतृत्व में तीन राज्यों के चुनावों में कांग्रेस को जीत मिली है. प्रियंका गांधी को लेकर अभी से भविष्यवाणी करने वालों को थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए. कार्यकर्ताओं का अधिकार है वे उत्साहित हों मगर जानकारों को यह समझना चाहिए कि वे 15 साल पहले राहुल गांधी को लेकर इसी तरह का उत्साह दिखा रहे थे मगर बीच में उन्हें राजनीति से खारिज करने लगे. अब जब राहुल ने इन तीन चुनावों में जीत हासिल की है तो वे खुद से प्रियंका गांधी को ले आते हैं. जनता के बीच साबित करने में बड़ा वक्त लग जाता है. प्रियंका का राजनीतिक अनुभव रहा है मगर अमेठी और रायबरेली तक सीमित रहा है.
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