अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट की रोज़ाना सुनवाई के बीच मध्यस्थता की बात एक बार फिर चर्चा में है. पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज एमएफ़ कलीफ़ुल्ला की अगुवाई वाली मध्यस्थता पैनल ने सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दाखिल कर ये सूचित किया कि कुछ स्टेकहोल्डर्स का दावा है कि मध्यस्थता दुबारा शुरू की जाए. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में 'डे टू डे' हियरिंग शुरू होने के पीछे वजह यह थी कि मध्यस्थता से कोई ख़ास हल नहीं निकला था, हांलाकि अयोध्या ज़मीन विवाद में कुछ का कहना है कि उनको सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद आए फ़ैसले का ही इंतज़ार है और मध्यस्थता दुबारार शुरू न हो. इससे उभरते हैं हमारे आज के तीन सवाल. 1.) क्या अभी भी मध्यस्थता से हल निकल सकता है? 2.) निर्मोही अखाड़ा की मध्यस्थता नहीं, कोर्ट का फ़ैसला होगा मंज़ूर, क्या मध्यस्थता में नहीं है सबका विश्वास 3. )क्या मध्यस्थता की बात को मामले में देरी से जोड़कर देखना ठीक?