यूनिवर्सिटी सीरीज़ बीच बीच में लौट आती है. आखिर उस यूनिवर्सिटी को ए ग्रेड कैसे मिल सकता है जिसमें नब्बे फीसदी प्रोफसरों के पद ख़ाली हों. जिसके इंजीनियरिंग कालेज में न लैब हो, न लाइब्रेरी हो न हॉस्टल हो. जिसके लिए छात्र कई बार आंदोलन कर चुके हों. हमारे सिस्टम को नौजवानों की ज़िंदगी से खेलने की इतनी हिम्मत आती कहां से है? मैं समझ नहीं पाता हूं? 2009 में बनी हरियाणा सेंट्रल यूनिवर्सिटी की यह कहानी है जिसे हमने पिछले साल यूनिवर्सिटी सीरीज़ में भी दिखाया था. ए ग्रेड देखकर 350 छात्रों ने यहां बी टेक में एडमिशन ले लिया. अब हर बात के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है.