आतंकवाद के आरोप में 23 साल जेल में गुजारने के बाद अब कोर्ट ने अली मोहम्मद बट्ट को बरी कर दिया है. 23 साल सजा काटने के बाद अब इस अफसोस में बाकी जिंदगी गुजरेगी की सजा उस गुनाह की काटी जो किया ही नहीं. इस दौरान पूरा परिवार उजड़ गया वो दुख अलग. उनके अपने वालिद और अम्मी दोनों का इंतक़ाल हो चुका है. अब 48 साल के बट्ट ज़िंदगी से तुकतान बिठाने की कोशिश में हैं. क्या सरकार इस गलत आरोप की भरपाई कर सकेगी?