दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने तीन साल पूरे कर लिए हैं. जब आम आदमी पार्टी एक क्रांति से आगे बढ़कर एक सियासी पार्टी के तौर पर राजनीति में आई तो देश में सियासी भूचाल आ गया. साल था 2013. फिर 2015 में विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से पार्टी को जीत मिली. लोगों ने 'आप' में उम्मीद की एक किरण दिखी. आम लोगों को लगा सत्ता उन्हें मिली है, 'आप' उनकी है. केजरीवाल एक मसीहा बनकर सामने आए.लोगों ने सोचा एक ऐसा नेता बना है जिसने सत्ता से जुड़े तमाम गैरजरूरी आराम ठुकरा दिए हैं. आज सत्ता में तीन साल पूरे हो गए, क्या 'आप' सही में आम लोगों की पार्टी साबित हुई है?